Story highlights High levels of stress hormones are linked to memory loss, study says Effects are evident in mid-life years, before symptoms appear प्रौढ़ावस्था तक आते आते लगातार बने रहने वाली रोज़मर्रा की स्ट्रेस अपना रंग दिखाने लगती है। भले इसके लक्षण प्रकट हों न हों ,गुप्त बने रहें। याददाश्त का साथ छोड़ते चले जाना दिमाग का सिकुड़कर छोटा होने लगना पूरे दिमाग के चुंबकीय अनुनाद चित्रांकन से प्रकट होने लगता है।दिमाग की बोध संग्रहण प्रक्रिया (Cognitive Function )छीजने लगती है। अतिरिक्त सावधानी बरतते समय किसी आसन्न संकट की आहट पर बचाव के लिए कमर कसने या फिर मैदान छोड़कर भाग खड़े होने के लम्हात में स्ट्रेस हारमोन अधिवृक्क ग्रंथि (adrenal gland )ज्यादा बनाने लगती है। ऐसे में यह स्ट्रेस हारमोन कोर्टिसोल अपना काम मुस्तैदी से करने के लिए सौ फीसद अंजाम देने की ताक में शेष शरीर क्रियाविज्ञान को एक तरह से ताला मारने लगता है।दवाब के क्षण हटें यहां तक तो सब ठीक लेकिन बने रहने पर इसका खामियाज़ा व्यक्ति को एंग्जायटी के वजन के बढ़ने के साथ -साथ हृद रोगों ,वजन में ...