Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2018

Stress might lead to memory loss and brain shrinkage, study says(HINDI ALSO )

Story highlights High levels of stress hormones are linked to memory loss, study says Effects are evident in mid-life years, before symptoms appear प्रौढ़ावस्था तक आते आते लगातार बने रहने वाली रोज़मर्रा की स्ट्रेस अपना रंग  दिखाने लगती है। भले इसके लक्षण प्रकट हों न हों ,गुप्त बने रहें।  याददाश्त का साथ छोड़ते चले जाना दिमाग का सिकुड़कर छोटा होने लगना पूरे दिमाग के चुंबकीय अनुनाद चित्रांकन से प्रकट होने लगता है।दिमाग की बोध संग्रहण प्रक्रिया (Cognitive Function )छीजने लगती है।  अतिरिक्त सावधानी बरतते समय किसी आसन्न संकट की आहट पर बचाव के लिए कमर कसने या फिर मैदान छोड़कर भाग खड़े होने के लम्हात में स्ट्रेस हारमोन अधिवृक्क ग्रंथि (adrenal gland )ज्यादा बनाने लगती है। ऐसे में यह स्ट्रेस हारमोन कोर्टिसोल अपना काम मुस्तैदी से करने के लिए सौ फीसद अंजाम देने की ताक में शेष शरीर क्रियाविज्ञान को एक तरह से ताला मारने लगता है।दवाब के क्षण हटें यहां तक तो सब ठीक लेकिन बने रहने पर इसका खामियाज़ा व्यक्ति को एंग्जायटी के वजन के बढ़ने के साथ -साथ हृद रोगों ,वजन में वृद्धि ,अवसाद ,नींद लेने

राम मंदिर बाद में #Metoo पहले

फोटो : सोशल मीडिया अमृतसर रेल हादसे में पहली बार ट्रेन के चालक का बयान सामने आया है। चालक का कहना है कि उसने भीड़ देखकर इमरजेंसी ब्रेक लगाए थे, लेकिन भीड़ ने ट्रेन पर पथराव कर दिया तो यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर उनसे ट्रेन आगे बढ़ा दी। शुक्रवार को अमृतसर के जौड़ा फाटक पर हुए रेल हादसे की जांच जारी है। इस बीच ट्रेन के चालक अरविंद कुमार का लिखित बयान सामने आया है। अरविंद कुमार ने कहा है कि, “घटना के दिन उसने भीड़ देखकर इमरजेंसी ब्रेक लगाए थे। लेकिन, भीड़ ने जब पथराव शुरू कर दिया तो यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ट्रेन आगे बढ़ानी पड़ी।“ यह हादसा दशहरे के दिन हुआ था, जब रेल पटरी से सटे मैदान में रावण दहन हो रहा था। दहन होने के बाद भीड़ ने पीछे हटना शुरु कर दिया और पटरी पर जमा हो गई। इसी बीच वहां से ट्रेन गुजरी जिसकी चपेट में आकर 59 लोगों की मौत हुई और 60 से ज्यादा जख्मी हो गए। अब ट्रेन के चालक अरविंद कुमार ने अपना लिखित बयान जारी किया है। अरविंद कुमार ने लिखा है कि, “शुक्रवार शाम को जालंधर सिटी से चलने के बाद जब गाड़ी जोड़ा फाटक के नजदीक पहुंची तो

शशि थरूर का #Meetoo

शशि थरूर का #Meetoo  यदि किसी कहानी कथा का आरम्भ उसका प्रवेश द्वार है तो कहानी या पोस्ट का शीर्षक उस द्वार पर लिखा सुस्वागतम है। स्वागत है शशि थरूर जी आपका। आप भारत देश को समझा रहें हैं श्रेष्ठ हिन्दू ,श्रेष्ठ मुसलमान ,श्रेष्ठ ईसाई ,श्रेष्ठ बौद्ध ,श्रेष्ठ सिख ,श्रेष्ठ पारसी ,बनिया ,ब्राह्माण,शूद्र कौन ? (१ )पूछा जा सकता है क्या हिन्दू को आत्मा रक्षा का अधिकार नहीं है ? (२ )क्या मंदिर तोड़के मस्जिद बनाने वाला मुसलमान श्रेष्ठ है ? (३ )क्या वह मुसलमान श्रेष्ठ है जिसे भारत देश को तोड़ने के कामों में खर्ची के लिए हवाला से पैसा आ रहा है ? (४ )घाटी में अलगाव वादियों का समर्थन करने  वाला हिन्दू या मुसलमान श्रेष्ठ है ? (५ )वह हिन्दू श्रेष्ठ है जो नेहरू की तरह अपनी बीवी को तपेदिक में छोड़ के भाग गया था उसके पास समय नहीं था ? (६ )वह थरूर श्रेष्ठ है जिसने बीवी को आत्महत्या के कगार पे ले जाकर छोड़ दिया जबकि वह पहले  से अवसाद ग्रस्त थी,बायकायदा उसका इलाज़ भी चल रहा था ?  वह जुल्फिकार अली भुट्टो श्रेष्ठ थे जो कहते थे भारत के सीने पे घाव करते चलो हज़ार हज़ार। क्या आप पड़ोसी पाकिस्तान को ये स

आज का ब्लॉगपक्ष : सरगुन की कर सेवा ,निर्गुण का कर ज्ञान। सरगुन नि...

सरगुन की कर सेवा ,निर्गुण का कर ज्ञान।  सरगुन निर्गण ते (से )परे तहाँ हमारा ध्यान। कबीर कहते हैं हे मनुष्य तेरे बाहर सरगुन(सगुण ) है भीतर निर्गुण है। सब प्राणी सरगुन भगवान् है। चेतना का दीपक अंदर जल रहा है वह निर्गुण है। नर नारायण रूप है इसे देह मत समझ देह तो मिट्टी का खोल है। कबीर जेते  आत्मा  ,तेते शालिग्राम। कबीर कहते हैं अर्थात जितने भी प्राणी है सब भगवान हैं   कबीर कहते हैं सगुन की सेवा करो निर्गुण का ज्ञान प्राप्त करो लेकिन हमारा ध्यान दोनों से परे होना चाहिए सरगुन श्रेष्ठ है या निर्गुण इस फ़िज़ूल बात में नहीं उलझना है।  सारा सृजन मनुष्य करता है ज्ञान विज्ञान का रचयिता वह स्वयं  है। देवताओं को उसने ही बनाया है वेदों की प्रत्येक ऋचा के साथ उसके ऋषि का नाम है छंद का नाम है। किताब ,किसी भी धार्मिक किताब (कतैब )का रचयिता भगवान नहीं है सारे देवता मनुष्य ने बनाये हैं उसी की कल्पना से उद्भूत हुए हैं यह ज्ञान है। इसे ही समझना है।  आज जो देवी देवता पूजे जाते हैं वह वैदिक नहीं हैं। राम ,कृष्ण ,गणेश आदिक इनका कहीं उल्लेख नहीं है वैदिक साहित्य में।जिनका उल्लेख है उन्हें आज पूजा नहीं ज