Skip to main content

राहुल (गांधी ) जितना आरएसएस के बारे में सोचते हैं यदि उसका दशांश भी अपने बारे में सोचते तो राजनीति में अपने लिए अब तक एक सम्मानजनक स्थान बना लेते

राहुल (गांधी ) जितना आरएसएस के बारे में सोचते हैं यदि उसका दशांश भी अपने बारे में सोचते तो  राजनीति में अपने लिए अब तक एक सम्मानजनक स्थान  बना लेते। 

एक ऐसी संस्था जिसका राजनीति विषय नहीं है उसके लिए असम्मानजनक भाषा का प्रयोग करना इनके बुद्धिक (बौद्धिक )स्तर का प्रमाण है। यह वही संस्था है जिसे पंडित नेहरू की नेहरुपंथी - कांग्रेस ने राहुल (गांधी)जिसके अवशेषी उच्छिष्ट भर हैं गांधी -हत्या का आरोप मढ़वाकर प्रतिबंधित बनाये रखा  नौ महीना जबकि इस संस्था के लाल किले में ढ़ाई महीना चले मुकदमे में निर्दोष होने के पुख्ता प्रमाण साफ़ हो चुके थे । इस संस्था के लिए नित और भी ज्यादा बढ़ता अपार जन समर्थन  देख कर नेहरू क्या सरदार पटेल का भी पसीना छूट गया था जो तत्कालीन गृहमंत्री थे। मरता क्या न करता इन महानुभावों को आरएसएस पर से प्रतिबन्ध हटाना पड़ा। हालांकि इसके रास्ते में भी और कई बाधाएं तकनीकी आधार पर खड़ी   करवाई गईं थी।  

यह वही संस्था है जिसके लिए न तब कोई भारतीय बेगाना था न अब और जो भारत की अखंडता को सांस्कृतिक सूत्र में पिरोये रखने में आज भी जुटी हुई है। 

इस संस्था ने आज राहुल (माफ़ करना मुझे ये आज भी स्पष्ट नहीं है यह नेहरुपंथी अवशेषी राहुल क्या है गांधी तो नहीं ही है और जो भी हो ,इसीलिए मुझे संकोच होता है इसके लिए यह पाकीज़ा सम्बोधन प्रयुक्त करने में। )को उस मुकाम पे ला के छोड़ा है जहां यह न तो उनके निमंत्रण को स्वीकार कर पा रहा है और न इसके लिए इंकार करने का हौसला जुटा पा रहा है। 

हमें लगता है इसे दर है कहीं वहां इसे गांधी वाद पे बोलने के लिए न कह दिया जाए। हालांकि यह ऐसा कहकर अलग हो सकता है मुझे तो उनके दर्शन का अवसर नहीं मिला मैं तो तब पैदा ही नहीं हुआ था क्योंकि इस बुद्धिवीर के  लिए  दर्शन का इतना ही मतलब होता है। 

संदर्भ -सामिग्री :

(१ )वर्तमान नेहरू पंथी कांग्रेस का रवईया 

(२ )Secrets of RSS Demystifying the Sangh -Sh  Ratan Sharda (MANAS PUBLICATIONS,4402/5-A,Ansari Road ,Opp HDFC Bank ,Darya Ganj ,New -Delhi -110-002 India )

(३)Background of Ban on RSS in 1948 (ANNEXTURE III) of the above book .

Comments

Popular posts from this blog

यहां हैकिंग भी है बलात्कार भी

सम्पादकीय ' कालिख  में डूबते बच्चे '(नभाटा ७ मई २०२० )सही कहता है 'यह अंधा कुआं देश की ताज़ादम पीढ़ी को निगल जाए ,उसके पहले हमें घर के लड़कों को बचाने की कोशिशें तेज़ कर देनी चाहिए। सचमुच लोकडाउन के इस दौर में जबकि नेट एक सोशल ब्लेक हॉल बनता दिख रहा है। बच्चे हमारा उत्पाद मात्र रह गए हैं ,बाइप्रोडक्ट हैं, अनुकरण करतें हैं बड़ों का। मैं कई ऐसे घरों में गया जहां नेटफ्लिक्स ,हॉट स्टार अमेज़न प्राइम -वीडियो आन डिमांड पर ऐसे सीरियल धड़ल्ले से देखे जा रहें हैं जिनमें जनपदों में प्रचलित गाली को सामादृत किया जा रहा है। और यह सब बच्चों के साथ  सांझा भी किया जा रहा है।यहां हैकिंग भी है बलात्कार भी।  बहरहाल यह इस परिवेशीय दोष का एक पहलू भर है। हमारे चित्त का निर्माण करने वाले  अनेक  कारक हैं। नेट हमारी खुराक का हिस्सा बन रहा है विविध रूपों में। स्मार्ट फोन उसका एक आयाम भर है जो आन लाइन टीचिंग के इस दौर में हर बच्चे के हाथों में आ गया है। चयन हमारा अपना है दोष नेट में नहीं है हमारे चयन पसंदगी और वरीयता मे...

राम मंदिर बाद में #Metoo पहले

फोटो : सोशल मीडिया अमृतसर रेल हादसे में पहली बार ट्रेन के चालक का बयान सामने आया है। चालक का कहना है कि उसने भीड़ देखकर इमरजेंसी ब्रेक लगाए थे, लेकिन भीड़ ने ट्रेन पर पथराव कर दिया तो यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर उनसे ट्रेन आगे बढ़ा दी। शुक्रवार को अमृतसर के जौड़ा फाटक पर हुए रेल हादसे की जांच जारी है। इस बीच ट्रेन के चालक अरविंद कुमार का लिखित बयान सामने आया है। अरविंद कुमार ने कहा है कि, “घटना के दिन उसने भीड़ देखकर इमरजेंसी ब्रेक लगाए थे। लेकिन, भीड़ ने जब पथराव शुरू कर दिया तो यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ट्रेन आगे बढ़ानी पड़ी।“ यह हादसा दशहरे के दिन हुआ था, जब रेल पटरी से सटे मैदान में रावण दहन हो रहा था। दहन होने के बाद भीड़ ने पीछे हटना शुरु कर दिया और पटरी पर जमा हो गई। इसी बीच वहां से ट्रेन गुजरी जिसकी चपेट में आकर 59 लोगों की मौत हुई और 60 से ज्यादा जख्मी हो गए। अब ट्रेन के चालक अरविंद कुमार ने अपना लिखित बयान जारी किया है। अरविंद कुमार ने लिखा है कि, “शुक्रवार शाम को जालंधर सिटी से चलने के बाद जब गाड़ी जोड़ा फाटक के नजदीक पहुंची तो ...

मोकू कहाँ ढूंढें रे बन दे ,मैं तो तेरे पास में

मोकू  कहाँ ढूंढें रे बन दे ,मैं तो तेरे पास में                           (१ ) न तीरथ में न मूरत में न एकांत निवास में , न मन्दिर में न मस्जिद में ,न काबे कैलास में।  मोकू कहाँ ढूंढें रे बंदे मैं तो तेरे पास में।                            (२ ) न मैं जप में न मैं तप में ,न मैं बरत उपास में , न मैं किरिया  -करम में रहता ,न मैं जोग संन्यास में।  मोकू कहाँ ढूंढें रे बंदे मैं तो तेरे पास में।                           (३ ) न ही प्राण में न ही पिंड में ,न हूँ मैं आकाश में , न ही प्राण में न ही पिंड में ,न हूँ मैं आकाश में।  न मैं परबत के गुफा में ,न ही साँसों के सांस में।  मोकू कहाँ ढूंढें रे बंदे मैं तो तेरे पास में।                          (४ )  खोजो तो तुरत मिल जावूँ ...