Skip to main content

इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जो बाप का नाम पूछने पर खुश होकर कहते हैं माओत्से ,देश का नाम पूछने पर भी कहते हैं माओत्से

मार्क्सवाद के मानसिक गुलाम लेफ्टिए खुलकर सामने आ गए हैं। कहने लगें हैं हम संसद के अंदर धोंस-पट्टी से  जाएंगे। संसदीय अधिकारों के अंदर से देश को तोड़ेंगे। कन्हैया ने जो भी कहा था उसको आगामी चुनाव के लिए नामित करना उसके प्रलाप पर लेफ्टीयों का मुहर लगाना है.   

अब सवाल उठता है के वृहत्तर समाज क्या ये सब कुछ चुपचाप देखता रहेगा या इन मानसिक रोगियों के इलाज़ के लिए आगे आएगा। इनका इलाज इनकी जमानतें ज़ब्त कराना है क्योंकि ये लोग सहामनुभूति के पात्र है जब कोई व्यक्ति मानसिक रोगी हो जाता है आम भाषा में विक्षिप्त या पागल हो जाता है उसे इलाज़ की ज़रुरत होती है। 

इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जो बाप का नाम पूछने पर खुश होकर कहते हैं माओत्से ,देश का नाम पूछने पर भी कहते हैं माओत्से। जैसे छोटा बच्चा सब कुछ रोकर अभिव्यक्त करता है क्योंकि उस दूधमुंहे को भाषा का इल्म नहीं होता वही हाल इनका है। ये एक ही शब्द से वाकिफ हैं :माओत्से। 

इनका रोदन और ऊंचे स्वरों में प्रलाप इन दिनों ट्वीटर पर देखा जा सकता है :चेहरे और वेशभूषा और नाम या फिर दल अलग अलग भले हों  वेषधारी साधुओं की तरह काम सबका एक ही देश को डंके की चोट पे वृहत्तर समाज को चेतावनी देते हुए तोड़ना।फिर चाहे वे अरुंधति राय हों या प्रशांत भूषण कपिल सिब्बल हो या आर्थिक प्रबंध को लचर बतलाने वाले अन्य छिद्रान्वेषी जिनका एक ही काम है राष्ट्रीय संविधानिक संस्थाओं  में सुराख करते रहना चींटी की मानिंद दीमक की मानिंद।  

Comments

Popular posts from this blog

मोकू कहाँ ढूंढें रे बन दे ,मैं तो तेरे पास में

मोकू  कहाँ ढूंढें रे बन दे ,मैं तो तेरे पास में                           (१ ) न तीरथ में न मूरत में न एकांत निवास में , न मन्दिर में न मस्जिद में ,न काबे कैलास में।  मोकू कहाँ ढूंढें रे बंदे मैं तो तेरे पास में।                            (२ ) न मैं जप में न मैं तप में ,न मैं बरत उपास में , न मैं किरिया  -करम में रहता ,न मैं जोग संन्यास में।  मोकू कहाँ ढूंढें रे बंदे मैं तो तेरे पास में।                           (३ ) न ही प्राण में न ही पिंड में ,न हूँ मैं आकाश में , न ही प्राण में न ही पिंड में ,न हूँ मैं आकाश में।  न मैं परबत के गुफा में ,न ही साँसों के सांस में।  मोकू कहाँ ढूंढें रे बंदे मैं तो तेरे पास में।                          (४ )  खोजो तो तुरत मिल जावूँ एक पल की तलाश में ,  कह त कबीर सुनो भई   साधौ   मैं तो हूँ बिस्वास में।  आदि श्री गुरुग्रंथ साहब जी से कबीर जिउ सलोक (१९७ -२०० ) कबीर हज काबे हउ जाइ था आगै मिलिया खुदाइ।  साईँ मुझ सिउ लरि परिआ तुझै किंहीं फुरमाई गाइ।  कबीर हज काबे होइ होइ गइआ केती बार कबीर।   साईँ मुझ महि किआ खता मुखहु न बोलै पीर।  क

कुम्भाराम या कुम्भकरण बतला रहें हैं मसखरा राहू

कुम्भाराम या कुम्भकरण बतला रहें हैं मसखरा राहू  हाल ही में राजस्थान की एक चुनावी सभा में मसखरा राहु ने एक कुम्भकरण लिफ्ट योजना का दो बार ज़िक्र किया ,जब तीसरी बार अशोक गहलोत साहब ने इस मसखरे को टहोका मारते हुए फुसफुसाया -कुम्भाराम आर्य तब यह बोला कुम्भा योजना हमने आरम्भ की है।  हम यह पोस्ट अपने अनिवासी भारतीयों को बा -खबर करने के लिए लिख रहें हैं ,कि मान्यवर यह व्यक्ति (मसखरा राहु ,शहज़ादा कॉल ,मतिमंद दत्तात्रेय आदिक नामों से ख्यात )जब आलू की फैक्ट्री लगवा सकता है इनके महरूम पिता श्री गन्ने के कारखाने लगवा सकते हैं तब यह  'कौतुकी -लाल' श्री लंका में सुदूर त्रेता -युग में कभी पैदा हुए कुंभकर्ण को आराम से कुम्भाराम का पर्याय बतला सकता है इसके लिए दोनों में कोई फर्क इसलिए नहीं है क्योंकि इन्हें और इनकी अम्मा को न इस देश के इतिहास का पता है और न भूगोल का और ये मतिमंद अबुध कुमार अपने आप को स्वयं घोषित भावी प्रधानमन्त्री मान बैठने का मैगलोमनिया पाले बैठा है।  भारत धर्मी समाज का काम लोगों तक सूचना पहुंचाना है।हमने किसी से कोई लेना देना नहीं है अलबत्ता भारत धर्मी समाज को सचेत करते रह

मर्दों में बाँझपन ,क्या हैं वजहें ?(PART I )

मर्दों में बाँझपन ,क्या हैं वजहें ? वैश्विक स्तर पर एक अनुमान  के अनुसार छः में से एक दम्पति संतानहीनता के दायरे में हैं।संतान चाहने पर भी एक बरस तक  निष्फल रहने पर ऐसे दम्पतियों को माहिरों द्वारा रोगनिदान के लिए आगे आने के लिए कहा जाता है। जांच के बाद ३० फीसद मामलों में मर्दों में बांझपन के लक्षण मिलते हैं।बांझपन के  कुल मामलों का  पांचवां हिस्सा मर्दों में मौजूद बांझपन से ताल्लुक रखता है।  इसकी मुख्यतया चार  वजहें मालूम चली  हैं :  (१ )इनमें एक से लेकर दो फीसद मामलों में पुरुषों के दिमाग का वह हिस्सा जो तापमान तथा हारमोन आदिक के स्राव को रेगुलेट करता है स्वयंचालित तरीके से (हाइपोथैलेमस )और पीयूष ग्रंथि (pituitry gland )के विकार से ताल्लुक रखता है।  (२ )३० से ४०%मामले gonad disorder से जुड़े होते हैं।इसके अंतर्गत ही अंडकोष और अंडाशय आते हैं जिनका काम प्रजनन कोशिकाओं को पैदा करना है।   (३ ) १० से २० फीसद मामले शुक्राणु परिवहन सम्बन्धी विकार (sperm transport disorder )के मिलते हैं।  (४ )४० से लेकर ५०फीसद मामलों की वजह पकड़ में ही नहीं आती।इनके कारण अज्ञात बने रहते हैं।  श